दिल फिर है जुस्तुजू में परेशाँ बुरा हुआ

By bishan-dayal-shad-dehlviFebruary 26, 2024
दिल फिर है जुस्तुजू में परेशाँ बुरा हुआ
मुश्किल नज़र की हो गई आसाँ बुरा हुआ
अच्छा हुआ या दर्द का दरमाँ बुरा हुआ
होना किसी का हुस्न पे नाज़ाँ बुरा हुआ


तस्कीन मिल रही है तसव्वुर से रात दिन
अपना रहा न कोई निगहबाँ बुरा है
मचले हुए शबाब के आसार देख कर
हुशियार हो गया ग़म-ए-नादाँ बुरा हुआ


सच पूछिए तो हुस्न के हर जल्वा-ज़ार में
इंसाँ-फ़रोश दीन का ईमाँ बुरा हुआ
दुनिया परख चुके हैं महासिन हयात के
निय्यत में फ़र्क़ आया कि इंसाँ बुरा हुआ


बस आबरू का मोल है जीने में जिस तरह
ख़ुशबू गई कि रंग-ए-गुलिस्ताँ बुरा हुआ
आख़िर सुपुर्द-ए-ख़ाक हुआ ख़ाकसार भी
मिट्टी में मिल गया तिरा एहसाँ बुरा हुआ


समझा था जिस को ग़ैर किसी दिन निगाह ने
वो दर्द दिल में हो गया मेहमाँ बुरा हुआ
इक ग़म से जज़्ब-ए-'शाद' के दरिया उतर गए
साहिल-नवाज़ हो गया तूफ़ाँ बुरा हुआ


18824 viewsghazalHindi