दिल-ओ-जाँ हम निसार करते हैं
By akhtar-ali-akhtarApril 3, 2021
दिल-ओ-जाँ हम निसार करते हैं
वो निगाहों से वार करते हैं
हाल-ए-दिल जब उन्हें सुनाता हूँ
आँख वो अश्क-बार करते हैं
हम ने उन से कभी गिला न किया
वो तो शिकवे हज़ार करते हैं
आ भी जाओ कि ताब-ए-ज़ब्त नहीं
हर घड़ी इंतिज़ार करते हैं
आँख उन से लड़ी है जब 'अख़्तर'
गुल-ओ-बुलबुल सा प्यार करते हैं
वो निगाहों से वार करते हैं
हाल-ए-दिल जब उन्हें सुनाता हूँ
आँख वो अश्क-बार करते हैं
हम ने उन से कभी गिला न किया
वो तो शिकवे हज़ार करते हैं
आ भी जाओ कि ताब-ए-ज़ब्त नहीं
हर घड़ी इंतिज़ार करते हैं
आँख उन से लड़ी है जब 'अख़्तर'
गुल-ओ-बुलबुल सा प्यार करते हैं
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