दिलों को रंज ये कैसा है ये ख़ुशी क्या है

By ahmad-hamdaniMay 24, 2024
दिलों को रंज ये कैसा है ये ख़ुशी क्या है
ये ज़ुल्मतों से उजालों की हमदमी क्या है
हवाएँ शहर से रोती हुई गुज़रती हैं
दिलों में ख़ौफ़ की ये एक लहर सी क्या है


उदासियों की ये परछाइयाँ सी दूर तलक
मह-ओ-नुजूम की आँखों में ये नमी क्या है
ये खिलखिलाते दर-ओ-बाम में घुटन कैसी
ये जगमगाते मकानों में तीरगी क्या है


भरे जहान में बन-बास की ये कैफ़िय्यत
हर एक सम्त न जाने ये गूँज सी क्या है
तिरे ख़याल में कटती है 'उम्र फिर भी हम
ये सोचते हैं कि अपनी भी ज़िंदगी क्या है


तमाज़तों में बस इक ख़ुश्क पेड़ की छाँव
है जिस पे नाज़ बहुत वो भी आगही क्या है
ये अश्क अश्क से ख़्वाबों में रौनक़ें कैसी
ये दाग़ दाग़ तमन्ना में ताज़गी क्या है


मिले हैं दुख तो हमें रोज़ ही तिरे दर से
मगर ये आज दुखों में नई ख़ुशी क्या है
43761 viewsghazalHindi