दिन के लम्हों में मिरे दिल की सदा है कोई
By iltefat-amjadiJune 21, 2021
दिन के लम्हों में मिरे दिल की सदा है कोई
शब की ज़ुल्मत में तबस्सुम की ज़िया है कोई
चलिए अच्छा है मिरे पीछे पड़ा है कोई
मेरे बारे में तो कुछ सोच रहा है कोई
साँस लेने नहीं देती है मसाइल की चुभन
ज़िंदगानी की सज़ा काट रहा है कोई
क्या तिरी आँख की गहराई में शो'ले हैं निहाँ
किस तरह झील के पानी से जला है कोई
'इल्तिफ़ात' उस की जबीं पर है तक़द्दुस की चमक
जब से किरदार के साँचे में ढला है कोई
शब की ज़ुल्मत में तबस्सुम की ज़िया है कोई
चलिए अच्छा है मिरे पीछे पड़ा है कोई
मेरे बारे में तो कुछ सोच रहा है कोई
साँस लेने नहीं देती है मसाइल की चुभन
ज़िंदगानी की सज़ा काट रहा है कोई
क्या तिरी आँख की गहराई में शो'ले हैं निहाँ
किस तरह झील के पानी से जला है कोई
'इल्तिफ़ात' उस की जबीं पर है तक़द्दुस की चमक
जब से किरदार के साँचे में ढला है कोई
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