दिया अपनी रविश पर क्या गया है
By shoeb-zamanNovember 21, 2020
दिया अपनी रविश पर क्या गया है
हवा का हाथ भी घबरा गया है
तुम्हारे फूल मुझ तक आ गए हैं
मगर यूँ भेजना चौंका गया है
हमारे ख़्वाब बे-पर्दा हुए हैं
हमारी आँख में झाँका गया है
तड़प कर आँगनों में धूप बिखरी
गला बरगद का फिर काटा गया है
सड़क पर शोर और भगदड़ मचा कर
मिरी आवाज़ को कुचला गया है
किसी के हाथ काटे जा रहे हैं
किसी के कान से झुमका गया है
दिए की भूक जंगल खा गई है
अंधेरा दूर तक रोता गया है
तुम्हारा तितलियों पर वार करना
हमारे फूल भी ज़ख़मा गया है
हवा का हाथ भी घबरा गया है
तुम्हारे फूल मुझ तक आ गए हैं
मगर यूँ भेजना चौंका गया है
हमारे ख़्वाब बे-पर्दा हुए हैं
हमारी आँख में झाँका गया है
तड़प कर आँगनों में धूप बिखरी
गला बरगद का फिर काटा गया है
सड़क पर शोर और भगदड़ मचा कर
मिरी आवाज़ को कुचला गया है
किसी के हाथ काटे जा रहे हैं
किसी के कान से झुमका गया है
दिए की भूक जंगल खा गई है
अंधेरा दूर तक रोता गया है
तुम्हारा तितलियों पर वार करना
हमारे फूल भी ज़ख़मा गया है
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