दिए उस ने औरों को साग़र पे साग़र

By aafaq-banarasiAugust 13, 2024
दिए उस ने औरों को साग़र पे साग़र
चुभोए मिरे दिल में नश्तर पे नश्तर
मरीज़-ए-मोहब्बत की है अब ये हालत
कि आते हैं हर वक़्त चक्कर पे चक्कर


मिरी सख़्त-जानी ग़ज़ब रंग लाई
हुए कुंद क़ातिल के ख़ंजर पे ख़ंजर
करम है ये साक़ी की दरिया-दिली का
मिले मुझ को भर-भर के साग़र पे साग़र


चढ़ाते हैं त्योरी दिखाते हैं आँखें
चुभोते हैं दिल में वो नश्तर पे नश्तर
तिरी जुस्तुजू में मह-ओ-मेहर दोनों
लगाते हैं दिन रात चक्कर पे चक्कर


मुक़ाबिल हुआ उन की चितवन से जब दिल
पड़े तीर पर तीर ख़ंजर पे ख़ंजर
निगाहों ने दिल में चुभोई हैं छुरियाँ
अदाओं ने मारे हैं ख़ंजर पे ख़ंजर


न सरका सर उस दर से 'आफ़ाक़' हरगिज़
लगा कर इसे लाख ठोकर पे ठोकर
44254 viewsghazalHindi