दोस्त गलियाँ शहर घर सारे पुराने हो गए
By sapna-jainFebruary 29, 2024
दोस्त गलियाँ शहर घर सारे पुराने हो गए
उस त'अल्लुक़ और मोहब्बत को ज़माने हो गए
अब कहाँ वो चाहतें वो महफ़िलें वो रौनक़ें
हर किसी के अपने अपने आशियाने हो गए
अब नसीहत बोझ लगती है बुज़ुर्गों की इन्हें
शहर में पढ़ लिख के बच्चे सब सियाने हो गए
इस में सारे रंग हैं शोख़ी अदा और सादगी
मुफ़्त में थोड़ी न सब उस के दिवाने हो गए
इस क़दर फैली तरक़्क़ी की वबा इस दौर में
खेतियाँ कल तक जहाँ थीं कार-ख़ाने हो गए
उस त'अल्लुक़ और मोहब्बत को ज़माने हो गए
अब कहाँ वो चाहतें वो महफ़िलें वो रौनक़ें
हर किसी के अपने अपने आशियाने हो गए
अब नसीहत बोझ लगती है बुज़ुर्गों की इन्हें
शहर में पढ़ लिख के बच्चे सब सियाने हो गए
इस में सारे रंग हैं शोख़ी अदा और सादगी
मुफ़्त में थोड़ी न सब उस के दिवाने हो गए
इस क़दर फैली तरक़्क़ी की वबा इस दौर में
खेतियाँ कल तक जहाँ थीं कार-ख़ाने हो गए
97761 viewsghazal • Hindi