दुआएँ माँग रहे हैं कई ख़याल अभी

By faheem-jogapuriSeptember 3, 2022
दुआएँ माँग रहे हैं कई ख़याल अभी
ख़ुदा के घर से फ़रिश्तों को मत निकाल अभी
दबा ले दर्द अभी आँसूओं को पाल अभी
तिरा ये आख़िरी सिक्का है मत उछाल अभी


हवा से कहना ज़रा और इंतिज़ार करे
करेगी रात चराग़ों की देख-भाल अभी
गए दिनों की अमानत उसी की नोक पे है
हमारे सीने से ख़ंजर ये मत निकाल अभी


ख़ुदा का शुक्र परिंदे सफ़र से लौट आए
शिकारियों के अगरचे बिछे हैं जाल अभी
वफ़ा के खेल में नौ-वारिद-ए-बिसात हूँ मैं
समझ में आती नहीं दुश्मनों की चाल अभी


धियान आप के एहसान का भी है लेकिन
किसी के क़र्ज़ में डूबा हूँ बाल-बाल अभी
भँवर से बच के चली आई एक नाव 'फहीम'
न पूछ कितना समुंदर को है मलाल अभी


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