दुनिया में रौशनी की क़यादत को लिख चलें
By abid-barelviDecember 2, 2024
दुनिया में रौशनी की क़यादत को लिख चलें
लाज़िम है ज़ुल्मतों की बग़ावत को लिख चलें
हर सम्त हों जहाँ में ये उल्फ़त के सिलसिले
नफ़रत की रहगुज़र पे मोहब्बत को लिख चलें
रौशन है जिन के दम से अभी हिन्द का चमन
अश्कों से आज उन की शहादत को लिख चलें
अब तो मिटाओ यारो 'अदावत की तल्ख़ियाँ
वहशत की आंधियों में रिफ़ाक़त को लिख चलें
नफ़रत में फिर जले न कोई अम्न की सहर
लाज़िम है लाख ऐसी रिवायत को लिख चलें
'आबिद' बसाएँ हर-सू सभी प्यार का जहाँ
दुनिया में आओ ऐसी हिकायत को लिख चलें
लाज़िम है ज़ुल्मतों की बग़ावत को लिख चलें
हर सम्त हों जहाँ में ये उल्फ़त के सिलसिले
नफ़रत की रहगुज़र पे मोहब्बत को लिख चलें
रौशन है जिन के दम से अभी हिन्द का चमन
अश्कों से आज उन की शहादत को लिख चलें
अब तो मिटाओ यारो 'अदावत की तल्ख़ियाँ
वहशत की आंधियों में रिफ़ाक़त को लिख चलें
नफ़रत में फिर जले न कोई अम्न की सहर
लाज़िम है लाख ऐसी रिवायत को लिख चलें
'आबिद' बसाएँ हर-सू सभी प्यार का जहाँ
दुनिया में आओ ऐसी हिकायत को लिख चलें
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