दुश्मनी हो मगर ख़ुश-कलामी रहे

By syed-zafar-kashipuriiFebruary 7, 2022
दुश्मनी हो मगर ख़ुश-कलामी रहे
ज़िक्र-ए-ख़य्याम हो फ़िक्र-ए-जामी रहे
गुल्सिताँ की फ़ज़ा हम को अच्छी लगी
ख़ुशबुओं के सदा हम पयामी रहे


आदमिय्यत का हरगिज़ तक़ाज़ा नहीं
तेरे किरदार में कोई ख़ामी रहे
तेरे मय-ख़ाने का कैसा दस्तूर है
जाम हो हाथ में तिश्ना-कामी रहे


ज़ेहन-ओ-दिल पर हैं पहरे लगे आज भी
कब तलक ऐ ख़ुदा ये ग़ुलामी रहे
जो सऊबत के ख़दशात से डर गए
राह-ए-उल्फ़त में वो सुस्त-गामी रहे


हर तरफ़ प्यार के फूल खिलते रहें
लय हिजाज़ी मिरी नग़्मा शामी रहे
43314 viewsghazalHindi