ऐ यार नसीहत को अगर गोश करे तू ये तौर-ओ-तरीक़ अपने फ़रामोश करे तू दीवाने सियाने हुएँ सब देख तुझ अँखियाँ इक चश्म की गर्दिश सेती बेहोश करे तू ऐ सर्व-चमाँ आवे अगर मेरी बग़ल में जन्नत का चमन ख़ाना-ए-आग़ोश करे तू हूराँ न करें ख़ुल्द के गुलबुन का नज़ारा जब सीम-बदन अपने को गुल-पोश करे तू इस 'फ़ाएज़'-ए-बेचारे की तब क़द्र पछाने इक जाम मोहब्बत का अगर नोश करे तू