एक चेहरा हदफ़ बनाने पर
By j-e-najmJuly 7, 2021
एक चेहरा हदफ़ बनाने पर
धर लिया क्यों हमें निशाने पर
सोचता हूँ ये क्या तसलसुल है
टूट जाता है साँस आने पर
सारे मोती बिखरते जाते हैं
एक धागे के टूट जाने पर
हिज्र पीछे ही पड़ गया मेरे
चंद लम्हों को गुदगुदाने पर
उँगलियाँ 'नज्म' ख़ुद पे उठने दे
तू न उँगली उठा ज़माने पर
धर लिया क्यों हमें निशाने पर
सोचता हूँ ये क्या तसलसुल है
टूट जाता है साँस आने पर
सारे मोती बिखरते जाते हैं
एक धागे के टूट जाने पर
हिज्र पीछे ही पड़ गया मेरे
चंद लम्हों को गुदगुदाने पर
उँगलियाँ 'नज्म' ख़ुद पे उठने दे
तू न उँगली उठा ज़माने पर
31966 viewsghazal • Hindi