एक दिन रात के गिर्ये का लतीफ़ा होना
By asim-qamarFebruary 25, 2024
एक दिन रात के गिर्ये का लतीफ़ा होना
या'नी जादू है कोई हिज्र पुराना होना
आज बस नफ़्स की सुन आज तो इंसान ही रह
यार चुभता है तिरा रोज़ फ़रिश्ता होना
चार छे रोज़ तो लगने हैं मगर चाँद मिरे
मुझ से अब और नहीं होगा तुम्हारा होना
ख़ुद से मिलने की मुझे पहली दफ़ा फ़ुर्सत थी
मुझ पे एहसान रहा मेरा अकेला होना
ख़ुदकुशी ज़ात पे लाज़िम सी हुई जाती है
पर किसी शख़्स के होने का दिलासा होना
एक दो वक़्फ़े उबासी के ज़रूर आते हैं
ग़ैर मुमकिन है कोई नस्र-ए-मुरस्सा’ होना
मैं ने चाहा था मदीने में तेरे हाथ में हाथ
या'नी अक़साम-ए-मोहब्बत का इकट्ठा होना
या'नी जादू है कोई हिज्र पुराना होना
आज बस नफ़्स की सुन आज तो इंसान ही रह
यार चुभता है तिरा रोज़ फ़रिश्ता होना
चार छे रोज़ तो लगने हैं मगर चाँद मिरे
मुझ से अब और नहीं होगा तुम्हारा होना
ख़ुद से मिलने की मुझे पहली दफ़ा फ़ुर्सत थी
मुझ पे एहसान रहा मेरा अकेला होना
ख़ुदकुशी ज़ात पे लाज़िम सी हुई जाती है
पर किसी शख़्स के होने का दिलासा होना
एक दो वक़्फ़े उबासी के ज़रूर आते हैं
ग़ैर मुमकिन है कोई नस्र-ए-मुरस्सा’ होना
मैं ने चाहा था मदीने में तेरे हाथ में हाथ
या'नी अक़साम-ए-मोहब्बत का इकट्ठा होना
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