एक हसरत जो दिल में दबी रह गई
By abrar-asarJune 19, 2024
एक हसरत जो दिल में दबी रह गई
'उम्र भर आँख में फिर नमी रह गई
जो भी माँगा ख़ुदा से मुझे मिल गया
जाने क्यों आप की ही कमी रह गई
जब से राहें हमारी हुई हैं जुदा
हर तरफ़ चीख़ती ख़ामुशी रह गई
आप जब से गए हैं मुझे छोड़ कर
दिल में इक दाइमी बेकली रह गई
पी लिए सारे दरिया मगर दोस्तो
क्यों लबों पर मिरे तिश्नगी रह गई
था जो क़िस्मत में उस की उसे मिल गया
मेरी तक़दीर में शा'इरी रह गई
तुम अगर मिल भी जाओ तो क्या फ़ाएदा
ज़िंदगी अब कहाँ ज़िंदगी रह गई
मौत ने रूह को जब पुकारा 'असर'
हाथ मलती हुई ज़िंदगी रह गई
'उम्र भर आँख में फिर नमी रह गई
जो भी माँगा ख़ुदा से मुझे मिल गया
जाने क्यों आप की ही कमी रह गई
जब से राहें हमारी हुई हैं जुदा
हर तरफ़ चीख़ती ख़ामुशी रह गई
आप जब से गए हैं मुझे छोड़ कर
दिल में इक दाइमी बेकली रह गई
पी लिए सारे दरिया मगर दोस्तो
क्यों लबों पर मिरे तिश्नगी रह गई
था जो क़िस्मत में उस की उसे मिल गया
मेरी तक़दीर में शा'इरी रह गई
तुम अगर मिल भी जाओ तो क्या फ़ाएदा
ज़िंदगी अब कहाँ ज़िंदगी रह गई
मौत ने रूह को जब पुकारा 'असर'
हाथ मलती हुई ज़िंदगी रह गई
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