एक जैसे हैं दुनिया में कब आदमी

By tuaqeer-chughtaiMarch 1, 2024
एक जैसे हैं दुनिया में कब आदमी
मैं 'अजीब आदमी वो 'अजब आदमी
भेड़िये शहर में आ के कहने लगे
हू-बहू अपने जैसे हैं सब आदमी


उस ने पत्थर को सज्दा किया था कभी
आ के रोता है अब पूरी शब आदमी
भूक से मरने वालों का था ये सवाल
भूक से जाँ छुड़ाएगा कब आदमी


चीख़ सुन के भी अब कोई रुकता नहीं
ख़ुद में डूबे गुज़रते हैं सब आदमी
उस से कहना कि 'तौक़ीर' जैसा तुझे
मिल न पाएगा बस्ती में अब आदमी


16720 viewsghazalHindi