एक कमरा ग़ज़ल किताबें ग़म
By aditya-tiwari-shamsFebruary 22, 2025
एक कमरा ग़ज़ल किताबें ग़म
ख़्वाब वो कुछ कहानियाँ और हम
ठोकरें हिज्र हाजतें और मैं
एक ही ज़ख़्म है कई मरहम
ज़िंदगी सी हैं तेरी ज़ुल्फ़ें और
हादसों से हैं इन में पेच-ओ-ख़म
नौकरी नाम और शोहरत में
शुक्र है बँट गए हैं मेरे ग़म
जो क़लंदर है इक रियासत का
उस को तोहफ़े में ख़ाक देंगे हम
है किसी 'शम्स' की नज़र उस पर
इस से अंजान है कोई शबनम
ख़्वाब वो कुछ कहानियाँ और हम
ठोकरें हिज्र हाजतें और मैं
एक ही ज़ख़्म है कई मरहम
ज़िंदगी सी हैं तेरी ज़ुल्फ़ें और
हादसों से हैं इन में पेच-ओ-ख़म
नौकरी नाम और शोहरत में
शुक्र है बँट गए हैं मेरे ग़म
जो क़लंदर है इक रियासत का
उस को तोहफ़े में ख़ाक देंगे हम
है किसी 'शम्स' की नज़र उस पर
इस से अंजान है कोई शबनम
85323 viewsghazal • Hindi