एक मश'अल थी बुझा दी उस ने
By abdul-hamidApril 23, 2024
एक मश'अल थी बुझा दी उस ने
फिर अँधेरों को हवा दी उस ने
किस क़दर फ़र्त-ए-अक़ीदत से झुका
और फिर ख़ाक उड़ा दी उस ने
दम-ब-दम मुझ पे चला कर तलवार
एक पत्थर को जिला दी उस ने
याँ तो आता ही नहीं था कोई
आन कर बज़्म सजा दी उस ने
फिर अँधेरों को हवा दी उस ने
किस क़दर फ़र्त-ए-अक़ीदत से झुका
और फिर ख़ाक उड़ा दी उस ने
दम-ब-दम मुझ पे चला कर तलवार
एक पत्थर को जिला दी उस ने
याँ तो आता ही नहीं था कोई
आन कर बज़्म सजा दी उस ने
52929 viewsghazal • Hindi