एक मुफ़्लिस का गुज़र बाज़ार से होता हुआ

By ali-tasifJune 3, 2024
एक मुफ़्लिस का गुज़र बाज़ार से होता हुआ
ख़ुद कहानी बन गया किरदार से होता हुआ
फल तो क्या साए पे उस के हक़ नहीं मेरा कोई
जो शजर घर आ गया दीवार से होता हुआ


टूटता कब है जुनूँ का राब्ता इस दश्त से
अब भी आता हूँ मगर घर-बार से होता हुआ
तुम हथेली पर जहाँ सरसों जमाने आए हो
पीर आता है वहाँ इतवार से होता हुआ


एक मुद्दत दर-ब-दर की ठोकरें खाने के बा'द
ख़ुद में आया मैं दिल-ए-ग़म-ख़्वार से होता हुआ
77045 viewsghazalHindi