एक पल के लिए थे वो आए नज़र
By isma-hadiaNovember 1, 2020
एक पल के लिए थे वो आए नज़र
उम्र भर दिल पुकारा कि हाए नज़र
फूल बन कर हमेशा ही खिलती रहे
चाँद बन कर कभी जगमगाए नज़र
वक़्त-ए-रुख़्सत तिरी चश्म-ए-नम क्या कहूँ
काश मंज़र मिरी भूल जाए नज़र
जाने दिल में ये किस का ख़याल आ गया
आप ही आप ये मुस्कुराए नज़र
इक मिसाली ग़ज़ल है लिखी आप पर
ख़्वाब लम्हों से रौशन बराए नज़र
एक मुद्दत से हसरत यही है मिरी
मुझ को देखे तो फिर वो मिलाए नज़र
उस के तीर-ए-नज़र की बड़ी धूम है
आए दिल पे मिरे आज़माए नज़र
उस नज़र की नज़र मैं उतारुंगी फिर
इक नज़र जो तुझे देख पाए नज़र
'हादिया' रूह में मेरी बस्ता है वो
कैसे मुमकिन है अब वो चुराए नज़र
उम्र भर दिल पुकारा कि हाए नज़र
फूल बन कर हमेशा ही खिलती रहे
चाँद बन कर कभी जगमगाए नज़र
वक़्त-ए-रुख़्सत तिरी चश्म-ए-नम क्या कहूँ
काश मंज़र मिरी भूल जाए नज़र
जाने दिल में ये किस का ख़याल आ गया
आप ही आप ये मुस्कुराए नज़र
इक मिसाली ग़ज़ल है लिखी आप पर
ख़्वाब लम्हों से रौशन बराए नज़र
एक मुद्दत से हसरत यही है मिरी
मुझ को देखे तो फिर वो मिलाए नज़र
उस के तीर-ए-नज़र की बड़ी धूम है
आए दिल पे मिरे आज़माए नज़र
उस नज़र की नज़र मैं उतारुंगी फिर
इक नज़र जो तुझे देख पाए नज़र
'हादिया' रूह में मेरी बस्ता है वो
कैसे मुमकिन है अब वो चुराए नज़र
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