एक ऊँचे मकाँ की बातें हैं
By khayal-laddakhiFebruary 27, 2024
एक ऊँचे मकाँ की बातें हैं
अपनी बस आसमाँ की बातें हैं
कुछ तिरी क़ुर्बतों से वाबस्ता
कुछ तो वक़्त-ए-निहाँ की बातें हैं
कल जो दर्द-ए-निहाँ हमारे थे
आज सारे जहाँ की बातें हैं
मै-कदा मश्ग़ला रहा मेरा
होश-ए-हस्ती कहाँ की बातें हैं
कौन करता है प्यार की बातें
अब तो तीर-ओ-कमाँ की बातें हैं
तू न समझेगा वा’इज़-ए-नादाँ
जो ये 'इश्क़-ए-बुताँ की बातें हैं
मेरे माज़ी की गुफ़्तुगू सारी
आज दौर-ए-रवाँ की बातें हैं
शादमानी सुरूर-ओ-जाम-ओ-सुबू
तेरी तेरे जहाँ की बातें हैं
कुछ कहाँ है 'ख़याल' पोशीदा
दिल की बातें ज़माँ की बातें हैं
अपनी बस आसमाँ की बातें हैं
कुछ तिरी क़ुर्बतों से वाबस्ता
कुछ तो वक़्त-ए-निहाँ की बातें हैं
कल जो दर्द-ए-निहाँ हमारे थे
आज सारे जहाँ की बातें हैं
मै-कदा मश्ग़ला रहा मेरा
होश-ए-हस्ती कहाँ की बातें हैं
कौन करता है प्यार की बातें
अब तो तीर-ओ-कमाँ की बातें हैं
तू न समझेगा वा’इज़-ए-नादाँ
जो ये 'इश्क़-ए-बुताँ की बातें हैं
मेरे माज़ी की गुफ़्तुगू सारी
आज दौर-ए-रवाँ की बातें हैं
शादमानी सुरूर-ओ-जाम-ओ-सुबू
तेरी तेरे जहाँ की बातें हैं
कुछ कहाँ है 'ख़याल' पोशीदा
दिल की बातें ज़माँ की बातें हैं
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