उसे मा'लूम है सब कुछ वही है राज़-दाँ अपना

By faisal-azeemOctober 30, 2020
उसे मा'लूम है सब कुछ वही है राज़-दाँ अपना
मगर मुझ से ही सुनना चाहता है वो बयाँ अपना
यहाँ पर शान जाती है वहाँ पर जान जाती है
ज़मीं छूटी तो लगता है कि छूटा आसमाँ अपना


जो गुज़रा है सो गुज़रा है जो आएगा सो आएगा
जो अब है वो भला कब है कोई लम्हा कहाँ अपना
मैं जिस के दिल में रहता हूँ मैं जिस की धुन में रक़्साँ हूँ
वो अपनी धुन पे गाता है तो होता है गुमाँ अपना


वहाँ ख़ामोश बैठे थे यहाँ तो बात करते हैं
वहाँ क्यूँ था ज़ियाँ अपना यहाँ क्यों हो ज़ियाँ अपना
ये सदियाँ बीत जाती हैं मगर लम्हे नहीं कटते
जो घटता है तो बढ़ जाता है कुछ बार-ए-गराँ अपना


51465 viewsghazalHindi