फ़लक पे हँसने लगे चाँद तारे शाम के बाद
By faheem-jogapuriSeptember 3, 2022
फ़लक पे हँसने लगे चाँद तारे शाम के बाद
हमीं उदास हैं दरिया किनारे शाम के बाद
खनकती चूड़ियाँ ख़ुशबुएँ प्यार की बातें
तमाम वस्ल के हैं इस्तिआ'रे शाम के बाद
हमारे दिन पे ज़माने का जो तसर्रुफ़ हो
हमारी रात है और हम तुम्हारे शाम के बाद
निकलिए घर से तो दामन में आ ही जाते हैं
दो एक भटके हुए माह-पारे शाम के बाद
सुनहरी मछलियाँ डर जाती हैं अँधेरों से
सो कौन झील में कश्ती उतारे शाम के बाद
कहीं भी दिन में भटकता रहूँ मगर वो गली
उधर ही रास्ते मुड़ जाएँ सारे शाम के बाद
उदास रात के आँगन में दर्द की देवी
बड़े ही चाव से ज़ुल्फ़ें सँवारे शाम के बाद
खुला था सामने इक रोज़ बाब-ए-शहर-ए-बदन
किसे बताएँ जो देखे नज़ारे शाम के बाद
तमाम दिन पे हुकूमत रही हमारी 'फहीम'
हम अपने वक़्त के सूरज थे हारे शाम के बाद
हमीं उदास हैं दरिया किनारे शाम के बाद
खनकती चूड़ियाँ ख़ुशबुएँ प्यार की बातें
तमाम वस्ल के हैं इस्तिआ'रे शाम के बाद
हमारे दिन पे ज़माने का जो तसर्रुफ़ हो
हमारी रात है और हम तुम्हारे शाम के बाद
निकलिए घर से तो दामन में आ ही जाते हैं
दो एक भटके हुए माह-पारे शाम के बाद
सुनहरी मछलियाँ डर जाती हैं अँधेरों से
सो कौन झील में कश्ती उतारे शाम के बाद
कहीं भी दिन में भटकता रहूँ मगर वो गली
उधर ही रास्ते मुड़ जाएँ सारे शाम के बाद
उदास रात के आँगन में दर्द की देवी
बड़े ही चाव से ज़ुल्फ़ें सँवारे शाम के बाद
खुला था सामने इक रोज़ बाब-ए-शहर-ए-बदन
किसे बताएँ जो देखे नज़ारे शाम के बाद
तमाम दिन पे हुकूमत रही हमारी 'फहीम'
हम अपने वक़्त के सूरज थे हारे शाम के बाद
31410 viewsghazal • Hindi