फ़रेब-ए-आगही में जान दे दी

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
फ़रेब-ए-आगही में जान दे दी
उसी अंधी गली में जान दे दी
बहुत शिकवे ख़ुदा से हो गए थे
ख़ुदा की दुश्मनी में जान दे दी


बदन मेरा बहुत तकलीफ़ में था
बदन की दोस्ती में जान दे दी
किसी की फूँक पर आँखों को खोला
दु'आ की रौशनी में जान दे दी


मोहब्बत में तो ज़िंदा बच गए थे
न मरने की ख़ुशी में जान दे दी
49590 viewsghazalHindi