फ़ासला यूँ तो मिरी जान नहीं है कोई

By adnan-asarJanuary 18, 2025
फ़ासला यूँ तो मिरी जान नहीं है कोई
पर मुलाक़ात का इम्कान नहीं है कोई
'इश्क़ करना तो है इंसान का बुनियादी हक़
आप का मुझ पे तो एहसान नहीं है कोई


जब तलक ख़ुद पे न टूटा हो मुसीबत का पहाड़
ऐसा लगता है परेशान नहीं है कोई
इस क़दर गर्द फ़ज़ा में है कि दम घुटता है
साँस लेना यहाँ आसान नहीं है कोई


जो भी मिलता है उसे दिल से लगा लेते हो
तुम को दुश्मन की भी पहचान नहीं है कोई
33101 viewsghazalHindi