फ़सुर्दा कर गया अगले ज़मानों से गुज़रना
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
फ़सुर्दा कर गया अगले ज़मानों से गुज़रना
हवा की शक्ल में ख़ाली मकानों से गुज़रना
धुआँ बोझल फ़ज़ा-ए-मय-कदा और फिर अचानक
किसी बे-साख़्ता जुमले का कानों से गुज़रना
किसी आसेब को मिट्टी नहीं देता है कोई
हमें मर कर भी है अपने ही शानों से गुज़रना
ये जोखम ही नए कुछ रंग भर सकता है शब में
मिरा इस वक़्त दुश्मन के ठिकानों से गुज़रना
किसी पत्थर की सूरत सख़्त-ओ-साकित हूँ अभी मैं
अभी बाक़ी है मेरा ख़ाक-दानों से गुज़रना
अभी ऊँचाई पर नज़रें हैं लेकिन वापसी में
गिराँ होगा बहुत ऐसी ढलानों से गुज़रना
हवा की शक्ल में ख़ाली मकानों से गुज़रना
धुआँ बोझल फ़ज़ा-ए-मय-कदा और फिर अचानक
किसी बे-साख़्ता जुमले का कानों से गुज़रना
किसी आसेब को मिट्टी नहीं देता है कोई
हमें मर कर भी है अपने ही शानों से गुज़रना
ये जोखम ही नए कुछ रंग भर सकता है शब में
मिरा इस वक़्त दुश्मन के ठिकानों से गुज़रना
किसी पत्थर की सूरत सख़्त-ओ-साकित हूँ अभी मैं
अभी बाक़ी है मेरा ख़ाक-दानों से गुज़रना
अभी ऊँचाई पर नज़रें हैं लेकिन वापसी में
गिराँ होगा बहुत ऐसी ढलानों से गुज़रना
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