गर तार-ए-नफ़स टूटे तो सब ख़त्म तिरा शोर

By samar-khanabadoshFebruary 28, 2024
गर तार-ए-नफ़स टूटे तो सब ख़त्म तिरा शोर
ऐ पैकर-ए-ख़ाकी ये तिरा ज़ो'म तिरा ज़ोर
तू बाम पे ठहरा है तो इतना भी न कर नाज़
पाताल में आ भटकेगा कट जाए अगर डोर


मिट्टी ही भरेगी तिरी ख़्वाहिश का पियाला
इंसाँ तिरी फ़ितरत है अभी और अभी और
है ख़ाक की ख़ूराक यहाँ ख़ाक के पुर्ज़े
बस तेरी ये वक़'अत है कभी इस पे किया ग़ौर


हर चीज़ की गर्दन में क़िलादा है फ़ना का
बचता ही नहीं कोई यहाँ पर तो किसी तौर
सब पीछे ही रह जाएँगे ऐ 'ख़ाना-ब-दोशा'
ये माल मवेशी तिरे डंगर ये तिरे ढोर


31365 viewsghazalHindi