गर्द के उन्वान से क्यों मिल रही है गर्द साक़ी

By abaan-asif-kachkarApril 22, 2024
गर्द के उन्वान से क्यों मिल रही है गर्द साक़ी
दर्द-मंदानी की जानिब हाए है हमदर्द साक़ी
वो जो साग़र हाथ में ले चश्म से ही जाम होगा
बारहा वो महफ़िलों की शान है मय फ़र्द साक़ी


बज़्म-ए-ख़ुद के मौसमों की रंग-ओ-बू सरशार है याँ
गर्मी-ए-मय-नोश पा कर कुछ तो है वाँ सर्द साक़ी
बे-बदल बे-इख़्तियाराँ किया मुझे सर चूर शीशा
मुझ को फिर दे कर दवा कर तू दवा को दर्द साक़ी


अश्क आजिज़ होते होते इश्क़ बाइ'स क्यों न होगा
एक ही दम सोज़ से जो देख ले बे-पर्द साक़ी
हज़रत-ए-नासेह से जा मालूम कर दर्द-ओ-कसक तू
एक है बे-दर्द साक़ी एक है पुर-दर्द साक़ी


32143 viewsghazalHindi