गया बेकार आख़िर ये बरस भी
By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
गया बेकार आख़िर ये बरस भी
मोहब्बत भी अधूरी है हवस भी
उसे बस सोचना और लिखते रहना
यहीं तक है हमारी दस्तरस भी
बड़ा दा'वा है तुझ को दिलबरी का
गरजने वाले आ इक दिन बरस भी
दरिंदों के परिंदों के मज़े हैं
कभी इंसाँ पे आएगा तरस भी
उसे इक बार बस इक बार मिल लो
तो कम पड़ जाएँ दिल दो चार दस भी
मोहब्बत भी अधूरी है हवस भी
उसे बस सोचना और लिखते रहना
यहीं तक है हमारी दस्तरस भी
बड़ा दा'वा है तुझ को दिलबरी का
गरजने वाले आ इक दिन बरस भी
दरिंदों के परिंदों के मज़े हैं
कभी इंसाँ पे आएगा तरस भी
उसे इक बार बस इक बार मिल लो
तो कम पड़ जाएँ दिल दो चार दस भी
57122 viewsghazal • Hindi