ग़म-ए-हयात है फ़िक्र-ए-मआ'श से लोगो हमें तो सदियों से अपनी तलाश है लोगो मैं पूछता नहीं दैर-ओ-हरम के झगड़ों को मुझे बताओ ये किस किस की लाश है लोगो किसी के हाथ में हैं रंग-ओ-नस्ल के पते किसी के हाथ में मज़हब का ताश है लोगो लहू लहू है मिरी ज़िंदगी का पैराहन हुजूम-ए-ग़म से जिगर पाश-पाश है लोगो हमारे दिल में है जो कुछ वही ज़बान पे है हमारा राज़ तो हर इक पे फ़ाश है लोगो 'उमर' को क़त्ल किया है उसी के भाई ने ये हादिसा भी बड़ा दिल-ख़राश है लोगो