ग़म के बादल अगर छटे हुए थे
By aarif-nazeerJuly 12, 2024
ग़म के बादल अगर छटे हुए थे
बाल मिट्टी में क्यों अटे हुए थे
शा'इरी दोस्त रंज घर दफ़्तर
कितने हिस्सों में हम बटे हुए थे
मैं 'अलम-दार था 'अलम थामा
चाहे बाज़ू मिरे कटे हुए थे
सारा मंज़र हमारा मंज़र था
और मंज़र से हम हटे हुए थे
'मीर' साहिब का था शग़फ़ उस को
शे'र हम ने भी सब रटे हुए थे
जान-लेवा उसूल थे यारम
जिन पे हम बे-सबब डटे हुए थे
जो क़दामत-परस्त थे 'आरिफ़'
अपने किरदार में घटे हुए थे
बाल मिट्टी में क्यों अटे हुए थे
शा'इरी दोस्त रंज घर दफ़्तर
कितने हिस्सों में हम बटे हुए थे
मैं 'अलम-दार था 'अलम थामा
चाहे बाज़ू मिरे कटे हुए थे
सारा मंज़र हमारा मंज़र था
और मंज़र से हम हटे हुए थे
'मीर' साहिब का था शग़फ़ उस को
शे'र हम ने भी सब रटे हुए थे
जान-लेवा उसूल थे यारम
जिन पे हम बे-सबब डटे हुए थे
जो क़दामत-परस्त थे 'आरिफ़'
अपने किरदार में घटे हुए थे
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