घरों में छुप के न बैठो कि रुत सुहानी है

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
घरों में छुप के न बैठो कि रुत सुहानी है
छतों पे आओ कि सावन का पहला पानी है
वफ़ाएँ आज भी ख़ूँ माँगती हैं ख़्वाबों का
सज़ा के ढंग नए हैं सज़ा पुरानी है


ये हादसात तो बचपन से साथ हैं मेरे
तुम्हारा ग़म तो बहुत बा'द की कहानी है
किसी ख़याल की फिर तमकनत है चेहरे पर
किसी के सुर्ख़ दुपट्टे से धूप छानी है


68476 viewsghazalHindi