गुलाब रंगों को ज़ा'फ़रानी नहीं करूँगा
By aadil-rahiSeptember 7, 2024
गुलाब रंगों को ज़ा'फ़रानी नहीं करूँगा
मैं ऐसे पौदों की बाग़बानी नहीं करूँगा
किसी की ख़ातिर ग़लत-बयानी नहीं करूँगा
मैं झूटे लोगों की तर्जुमानी नहीं करूँगा
सुना है अब वो ख़िलाफ़ मेरे गवाही देगा
जो कह रहा था कि बद-गुमानी नहीं करूँगा
सज़ा मैं ख़ुद को कभी न दूँगा तिरे किए की
जिगर को छलनी लहू को पानी नहीं करूँगा
तुम्हारे ग़म का तुम्हारी यादों का मैं अमीं हूँ
कहा था तुम से कि बे-इमानी नहीं करूँगा
मु'आफ़ तुझ को मैं पहले भी कर चुका हूँ लेकिन
दुबारा तुझ पर ये मेहरबानी नहीं करूँगा
ये ग़ैर-मुमकिन है फिर भी हाकिम बना तो 'आदिल'
सितम-रसीदों पे हुक्मरानी नहीं करूँगा
मैं ऐसे पौदों की बाग़बानी नहीं करूँगा
किसी की ख़ातिर ग़लत-बयानी नहीं करूँगा
मैं झूटे लोगों की तर्जुमानी नहीं करूँगा
सुना है अब वो ख़िलाफ़ मेरे गवाही देगा
जो कह रहा था कि बद-गुमानी नहीं करूँगा
सज़ा मैं ख़ुद को कभी न दूँगा तिरे किए की
जिगर को छलनी लहू को पानी नहीं करूँगा
तुम्हारे ग़म का तुम्हारी यादों का मैं अमीं हूँ
कहा था तुम से कि बे-इमानी नहीं करूँगा
मु'आफ़ तुझ को मैं पहले भी कर चुका हूँ लेकिन
दुबारा तुझ पर ये मेहरबानी नहीं करूँगा
ये ग़ैर-मुमकिन है फिर भी हाकिम बना तो 'आदिल'
सितम-रसीदों पे हुक्मरानी नहीं करूँगा
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