हाल दिल का अयाँ नहीं होता

By khalid-zahidMay 14, 2021
हाल दिल का अयाँ नहीं होता
हम से अब कुछ बयाँ नहीं होता
बुत-कदा हो हरम कि मय-ख़ाना
ज़िक्र तेरा कहाँ नहीं होता


इक नज़र ख़ुद पे डालिए साहब
आइना बद-ज़बाँ नहीं होता
मौसम-ए-गुल भी इस बरस हम पर
जाने क्यों मेहरबाँ नहीं होता


उफ़ तसव्वुर के सिलसिले 'ज़ाहिद'
ख़त्म ये कारवाँ नहीं होता
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