हाए तक़दीर के मैदाँ में सजी होती है
By aqeel-farooqJuly 19, 2023
हाए तक़दीर के मैदाँ में सजी होती है
ज़िंदगी से भी सज़ा कोई बड़ी होती है
एक दुनिया है जो ग़ैरों से उजड़ जाती है
एक दुनिया है जो अपनों से जुड़ी होती है
एक रफ़्तार के आगे न कभी बढ़ पाए
वक़्त की तार तो पहले से कटी होती है
कोई एहसास-ए-तमन्ना नहीं होता उन को
ज़िंदगी जिन की भी टुकड़ों में बटी होती है
बुझ नहीं पाती कभी मिल के भी दोबारा फिर
वो जो इक आग जुदाई की लगी होती है
ज़िंदगी से भी सज़ा कोई बड़ी होती है
एक दुनिया है जो ग़ैरों से उजड़ जाती है
एक दुनिया है जो अपनों से जुड़ी होती है
एक रफ़्तार के आगे न कभी बढ़ पाए
वक़्त की तार तो पहले से कटी होती है
कोई एहसास-ए-तमन्ना नहीं होता उन को
ज़िंदगी जिन की भी टुकड़ों में बटी होती है
बुझ नहीं पाती कभी मिल के भी दोबारा फिर
वो जो इक आग जुदाई की लगी होती है
57075 viewsghazal • Hindi