है अब वो भी दस्त-ए-ख़रीदार में
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
है अब वो भी दस्त-ए-ख़रीदार में
ख़ुदा की दुकाँ भी है बाज़ार में
ज़मीं आज वो माँगने आई है
जो उस की अमानत है बीमार में
ख़िज़ाँ का भी ऐसा नहीं कोई ज़ोर
जो खो जाऊँ पत्तों के अम्बार में
न शैतान को अब कोई ज़िद रही
न अब हौसला है गुनहगार में
फ़क़त ना-तवानी का है ए'तिराफ़
ये नरमी जो आई है गुफ़्तार में
उसी के इशारों को दी है ज़बाँ
वही है पस-ए-पर्दा इंकार में
ख़ुदा की दुकाँ भी है बाज़ार में
ज़मीं आज वो माँगने आई है
जो उस की अमानत है बीमार में
ख़िज़ाँ का भी ऐसा नहीं कोई ज़ोर
जो खो जाऊँ पत्तों के अम्बार में
न शैतान को अब कोई ज़िद रही
न अब हौसला है गुनहगार में
फ़क़त ना-तवानी का है ए'तिराफ़
ये नरमी जो आई है गुफ़्तार में
उसी के इशारों को दी है ज़बाँ
वही है पस-ए-पर्दा इंकार में
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