है ग़ज़ल से तुझ को शग़फ़ अगर सभी मसअलों को सुख़न बना

By akhtar-hashmiApril 22, 2023
है ग़ज़ल से तुझ को शग़फ़ अगर सभी मसअलों को सुख़न बना
ग़म-ए-रोज़गार की बात कर तू अज़िय्यतों को सुख़न बना
कभी मह-रुख़ों में उलझ गया कभी ख़ुश्बूओं के हिसार में
मिरे शौक़-ए-तब्अ' ने राय दी तू न गेसूओं को सुख़न बना


कई ज़ाविए हैं सवाल के यही ग़ौर करना है अब तुझे
जहाँ मसअलों के भी हल मिलें उन्हीं पहलुओं को सुख़न बना
तिरा शोर-ग़ुल वो सुनेंगे क्यों जो अलम लिए हैं सुकून के
तुझे उन से करनी हो गुफ़्तुगू तो ख़मोशियों को सुख़न बना


किसी जाँ-ब-लब की भी आह सुन जो तड़प के तुझ को पुकार ले
कभी दर्द-ए-दिल से ख़िताब कर कभी आँसूओं को सुख़न बना
कोई तेग़-ओ-नेज़ा उठाए जब तू क़लम से उस को जवाब दे
तू रफ़ाक़तों की ज़बान रख तू सदाक़तों को सुख़न बना


ये है राज़-ए-अज़्मत-ए-शायरी तू समझ ले ‘अख़्तर-ए-हाशमी’
ये जो लफ़्ज़ लफ़्ज़ हैं वुसअ'तें इन्हीं वुसअ'तों को सुख़न बना
86888 viewsghazalHindi