हैं मिरी परवाज़ के तेवर नए

By farogh-zaidiOctober 30, 2020
हैं मिरी परवाज़ के तेवर नए
साथ मेरे देखिए मंज़र नए
इक पुराने मय-कदे में तिश्नगी
ढूँडती है साक़ी-ओ-साग़र नए


बचपने का घर न भूलेगा कभी
चाहे जितने आप के हों घर नए
कीजिए हर इल्म से आरास्ता
बच्चियों के हैं यही ज़ेवर नए


इक नए फ़ुटपाथ पर मज़दूर था
मुफ़्लिसी ने जब दिए बिस्तर नए
अब ज़रा ता'बीर भी बदले 'फ़रोग़'
देखता हूँ ख़्वाब तो अक्सर नए


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