हम न हँसते हैं और न रोते हैं

By meer-hasanNovember 6, 2020
हम न हँसते हैं और न रोते हैं
उम्र हैरत में अपनी खोते हैं
खा के ग़म ख़्वान-ए-इश्क़ के मेहमान
हाथ ख़ून-ए-जिगर से धोते हैं


वस्ल होता है जिन को दुनिया में
यारब ऐसे भी लोग होते हैं
कोस-ए-रहलत है जुम्बिश-ए-हर-दम
आह तिस पर भी यार सोते हैं


दिल लगा उस से मर्दुम-ए-दीदा
साथ अपने हमें डुबोते हैं
आह-ओ-नाला से वो ख़फ़ा है अबस
काँटे हम अपने हक़ में बूते हैं


याद आती हैं उस की जब बातें
दिल 'हसन' दोनों मिल के रोते हैं
69379 viewsghazalHindi