हम पर करेगा रहमतें परवरदिगार भी
By meena-khanAugust 11, 2020
हम पर करेगा रहमतें परवरदिगार भी
हालात अपने होंगे कभी साज़गार भी
तू ने भुला दी चाहतें क़ौल-ओ-क़रार भी
हम मुंतज़िर रहे तिरे सरहद के पार भी
हालाँकि कर चुका था वो तर्क-ए-तअल्लुक़ात
पर काश मुड़ के देखता बस एक बार भी
डेरा जमा लिया है ख़िज़ाँ ने कुछ इस तरह
अब ख़ुश न कर सकेगी ये फ़स्ल-ए-बहार भी
अपनी निगाह में तो रहे सुर्ख़-रू सदा
इंसाँ में होना चाहिए इतना वक़ार भी
ये अपने रहनुमाओं के वा'दों का है असर
बे-ए'तिबार हो गया अब ए'तिबार भी
ये कैसा दौर आ गया 'मीना' कि अब यहाँ
सिक्कों के मोल बिकता है अपनों का प्यार भी
हालात अपने होंगे कभी साज़गार भी
तू ने भुला दी चाहतें क़ौल-ओ-क़रार भी
हम मुंतज़िर रहे तिरे सरहद के पार भी
हालाँकि कर चुका था वो तर्क-ए-तअल्लुक़ात
पर काश मुड़ के देखता बस एक बार भी
डेरा जमा लिया है ख़िज़ाँ ने कुछ इस तरह
अब ख़ुश न कर सकेगी ये फ़स्ल-ए-बहार भी
अपनी निगाह में तो रहे सुर्ख़-रू सदा
इंसाँ में होना चाहिए इतना वक़ार भी
ये अपने रहनुमाओं के वा'दों का है असर
बे-ए'तिबार हो गया अब ए'तिबार भी
ये कैसा दौर आ गया 'मीना' कि अब यहाँ
सिक्कों के मोल बिकता है अपनों का प्यार भी
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