हमारी आँख उदासी से लाल कब तक हो
By aarif-nazeerJuly 30, 2024
हमारी आँख उदासी से लाल कब तक हो
तुम्हारे जाने का आख़िर मलाल कब तक हो
किसी भी रोज़ उमड आएगी ये बेज़ारी
बताओ इतना ज़ियादा ख़याल कब तक हो
तग़य्युरात-ए-ज़माना है लुत्फ़ लेते रहो
हमारी बात यूँही हस्ब-ए-हाल कब तक हो
हटा रहे हैं त'अल्लुक़ पे जो जमी है गर्द
वो राब्तों का तसलसुल बहाल कब तक हो
उदासी और कहीं भी हमें बुलाती है
बस इक जगह पे मुसलसल धमाल कब तक हो
मिलेगा ईंट का उन को जवाब पत्थर से
मैं मुंतज़िर हूँ कि 'आरिफ़' सवाल कब तक हो
तुम्हारे जाने का आख़िर मलाल कब तक हो
किसी भी रोज़ उमड आएगी ये बेज़ारी
बताओ इतना ज़ियादा ख़याल कब तक हो
तग़य्युरात-ए-ज़माना है लुत्फ़ लेते रहो
हमारी बात यूँही हस्ब-ए-हाल कब तक हो
हटा रहे हैं त'अल्लुक़ पे जो जमी है गर्द
वो राब्तों का तसलसुल बहाल कब तक हो
उदासी और कहीं भी हमें बुलाती है
बस इक जगह पे मुसलसल धमाल कब तक हो
मिलेगा ईंट का उन को जवाब पत्थर से
मैं मुंतज़िर हूँ कि 'आरिफ़' सवाल कब तक हो
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