हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए

By January 1, 2017
हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीदार में रहने के लिए
कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए
मैं ने देखा है जो मर्दों की तरह रहते थे
मस्ख़रे बन गए दरबार में रहने के लिए


ऐसी मजबूरी नहीं है कि चलूँ पैदल मैं
ख़ुद को गर्माता हूँ रफ़्तार में रहने के लिए
अब तो बदनामी से शोहरत का वो रिश्ता है कि लोग
नंगे हो जाते हैं अख़बार में रहने के लिए


21174 viewsghazalHindi