हर ख़ुशी ग़म की घटाओं में छुपी रहती है
By bhagwan-khilnani-saqiFebruary 26, 2024
हर ख़ुशी ग़म की घटाओं में छुपी रहती है
दिल की हर आस दु'आओं में छुपी रहती है
आ के ज़ालिम तू मिरे दिल की सदाएँ सुन ले
आग आहों की सदाओं में छुपी रहती है
ये हसीं लोग सितमगर भी हैं मा'सूम भी हैं
तेग़ तो इन की अदाओं में छुपी रहती है
ज़िंदगी एक हसीं राज़ की मजबूरी है
ये हक़ीक़त तो बलाओं में छुपी रहती है
शुक्र है कि मिरे गुलशन में ख़िज़ाँ आई है
फ़स्ल-ए-गुल भी तो ख़िज़ाओं में छुपी रहती है
इस लिए जीते हैं हम 'साक़ी' जफ़ाएँ सह कर
ज़िंदगी सारी जफ़ाओं में छुपी रहती है
दिल की हर आस दु'आओं में छुपी रहती है
आ के ज़ालिम तू मिरे दिल की सदाएँ सुन ले
आग आहों की सदाओं में छुपी रहती है
ये हसीं लोग सितमगर भी हैं मा'सूम भी हैं
तेग़ तो इन की अदाओं में छुपी रहती है
ज़िंदगी एक हसीं राज़ की मजबूरी है
ये हक़ीक़त तो बलाओं में छुपी रहती है
शुक्र है कि मिरे गुलशन में ख़िज़ाँ आई है
फ़स्ल-ए-गुल भी तो ख़िज़ाओं में छुपी रहती है
इस लिए जीते हैं हम 'साक़ी' जफ़ाएँ सह कर
ज़िंदगी सारी जफ़ाओं में छुपी रहती है
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