हर मरहला-ए-शौक़ का इज़हार करेंगे दिल उन की मोहब्बत में गिरफ़्तार करेंगे माना कि गुज़र जाएगी ये ज़ुल्म की आँधी तज्दीद-ए-सितम फिर भी सितम-कार करेंगे महरूम-ए-तबीअ'त जो ज़माने में रहे हैं वो अपनी अना दरपय-ए-आज़ार करेंगे हम गर्दिश-ए-अफ़्लाक से नज़रों को मिला कर जो फ़ैसला करना है सर-ए-दार करेंगे ता-वक़्त कि टकराएँ न कानों से सदाएँ दीवार हम अपनी पस-ए-दीवार करेंगे नफ़रत की हर इक शहर में भड़काएँगे आतिश ये काम फ़क़त मुल्क के ग़द्दार करेंगे लफ़्ज़ों में सिमट आएगा गुफ़्तार का जादू लहजे को 'ज़फ़र' आप के तलवार करेंगे