हर मोड़ हर क़दम पे ये तड़पा गई मुझे
By aqeel-farooqJuly 19, 2023
हर मोड़ हर क़दम पे ये तड़पा गई मुझे
आख़िर मिरी तमन्ना ही दफ़ना गई मुझे
मंज़िल की आरज़ू थी वही आरज़ू मगर
रस्ते न जाने कौन से दिखला गई मुझे
मैं अपनी जुस्तुजू में था पर इश्क़ की चुभन
मुझ को ही मुझ से छीन के उलझा गई मुझे
मुझ को ख़ुदी पे नाज़ था और बे-शुमार था
मेरी अना की आग ही झुलसा गई मुझे
आख़िर मिरी तमन्ना ही दफ़ना गई मुझे
मंज़िल की आरज़ू थी वही आरज़ू मगर
रस्ते न जाने कौन से दिखला गई मुझे
मैं अपनी जुस्तुजू में था पर इश्क़ की चुभन
मुझ को ही मुझ से छीन के उलझा गई मुझे
मुझ को ख़ुदी पे नाज़ था और बे-शुमार था
मेरी अना की आग ही झुलसा गई मुझे
21442 viewsghazal • Hindi