हर मोड़ पे जो बनते हैं हुशियार बार-बार

By abdullah-minhaj-khanMay 18, 2024
हर मोड़ पे जो बनते हैं हुशियार बार-बार
हो जाते हैं ज़रा में वो बीमार बार-बार
मिलते हैं उन को फ़िक्र के मोती यहाँ सदा
आते हैं मेरी बज़्म में फ़नकार बार-बार


कल तक जो मुझ से बात भी करते नहीं थे वो
अब करते हैं वो प्यार का इज़हार बार-बार
छोटा समझ के काम जो करते नहीं हैं हम
होता है हर घड़ी वही दुश्वार बार-बार


दामन में क्या है और है पर्दे में क्या छुपा
सब कुछ बयान करता है अख़बार बार-बार
देखा नहीं है उस को ज़माने गुज़र गए
अब तो करा दो यार का दीदार बार-बार


ये जानते हुए भी कि नुक़्सान होगा ख़ूब
पीने को रोज़ जाते हैं मय-ख़्वार बार-बार
'मिनहाज' मेरा 'इश्क़ जो सच्चा हुआ अगर
अपनी तरफ़ बुलाएँगे सरकार बार-बार


66711 viewsghazalHindi