हर-नफ़स अपना अज़िय्यत-कोश है

By nashad-kanpuriJune 17, 2022
हर-नफ़स अपना अज़िय्यत-कोश है
ज़िंदगी क्या है वबाल-ए-दोश है
काएनात-ए-दिल है और सोज़-ए-फ़िराक़
ज़िंदगी इक महशर-ए-ख़ामोश है


बहर-ए-उल्फ़त का कहीं साहिल नहीं
आशिक़ी बेगाना-ए-आग़ोश है
किस ने छेड़ा नग़्मा-ए-हुस्न-ए-वफ़ा
जिस को देखो वो हमा-तन-गोश है


तुम भी आकर ये तमाशा देख लो
मौत से 'नाशाद' हम-आग़ोश है
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