हर तरफ़ बे-हिसाब ख़ामोशी

By akhtar-hashmiApril 22, 2023
हर तरफ़ बे-हिसाब ख़ामोशी
लग रही है अज़ाब ख़ामोशी
जिस की आदत थी बोलते रहना
उस पे क्यों है जनाब ख़ामोशी


है समाअ'त भी बे-सदा अपनी
और उस का ख़िताब ख़ामोशी
अब शब-ओ-रोज़ यूँ गुज़रते हैं
अपना कमरा किताब ख़ामोशी


हर जगह बोलना नहीं अच्छा
हर जगह है ख़राब ख़ामोशी
एक उन्वान था मुझे दरकार
कर लिया इंतिख़ाब ख़ामोशी


शोरिशों का सबक़ लिया पहले
अब है दिल का निसाब ख़ामोशी
तुम जो चुप हो तो फिर मुनासिब है
हो मिरा भी जवाब ख़ामोशी


मुज़्तरिब था बहुत फ़िराक़ में दिल
हासिल-ए-इज़्तिराब ख़ामोशी
कितना चर्चा था ख़्वाब का 'अख़्तर'
और ताबीर-ए-ख़्वाब ख़ामोशी


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