हौसले जिन के भी बुलंद नहीं

By abrar-asarJune 19, 2024
हौसले जिन के भी बुलंद नहीं
मेरी नज़रों में अर्जुमंद नहीं
जब से देखा है उन को रोते हुए
तब से बारिश मुझे पसंद नहीं


जितना हम आप को समझते थे
आप उतने तो ‘अक़्ल-मंद नहीं
हाल-ए-दिल आप को सुनाते मगर
हम अभी इतने होश-मंद नहीं


मैं सितारों को फ़त्ह कर लूँ मगर
मेरी ज़म्बील में कमंद नहीं
यार ये अपनी ख़ुश-नसीबी है
दर-ए-तौबा खुला है बंद नहीं


दर्द मेरा समझ सके जो 'असर'
अब कोई ऐसा दर्द-मंद नहीं
70163 viewsghazalHindi