हवा-ए-शाम से दीवार में शिगाफ़ आया

By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
हवा-ए-शाम से दीवार में शिगाफ़ आया
बदन में जितना अँधेरा था ज़ेर-ए-नाफ़ आया
ये तज्रबा भी हुआ सर्दियों की रातों में
मैं सो गया तो मुझे ओढ़ने लिहाफ़ आया


कई गुनाह मिरी सोहबतों में थे लेकिन
निकल के ख़ेमा-ए-शब से मैं साफ़ साफ़ आया
उसे क़ुबूल हैं आवारा-गर्दियाँ मेरी
कि मेरे हिस्से में फिर मौसम-ए-तवाफ़ आया


चलो ये बंद भी टूटा कि आज मेरे नाम
मुआफ़िक़ीन की जानिब से इख़्तिलाफ़ आया
74728 viewsghazalHindi