हुआ ख़त्म दरिया तो सहरा लगा
By adil-mansuriMay 21, 2024
हुआ ख़त्म दरिया तो सहरा लगा
सफ़र का तसलसुल कहाँ जा लगा
'अजब रात बस्ती का नक़्शा लगा
हर इक नक़्श अंदर से टूटा लगा
तुम्हारा हज़ारों से रिश्ता लगा
कहो साईं का काम कैसा लगा
अभी खिंच ही जाती लहू की धनक
मियाँ तीर टुक तेरा तिरछा लगा
लहू में उतरती रही चाँदनी
बदन रात का कितना ठंडा लगा
त'अज्जुब के सूराख़ से देखते
अँधेरे में कैसे निशाना लगा
सफ़र का तसलसुल कहाँ जा लगा
'अजब रात बस्ती का नक़्शा लगा
हर इक नक़्श अंदर से टूटा लगा
तुम्हारा हज़ारों से रिश्ता लगा
कहो साईं का काम कैसा लगा
अभी खिंच ही जाती लहू की धनक
मियाँ तीर टुक तेरा तिरछा लगा
लहू में उतरती रही चाँदनी
बदन रात का कितना ठंडा लगा
त'अज्जुब के सूराख़ से देखते
अँधेरे में कैसे निशाना लगा
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